दिन 1 मई है। मजदूर दिवस लेबर डे,International Labour Day
मजदूरों और कर्मचारियों को सम्मान देने के लिए दुनिया भर में हर साल International Labour Day मनाया जाता है। 1 मई मजदूरों के नाम पर समर्पित है। मजदूर दिवस को लेबर डे, श्रमिक दिवस या मई डे भी कहते हैं। इस दिन को मजदूरों को सम्मान देने और उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए आवाज उठाने के लिए भी मनाते हैं।किसी भी देश का विकास मजदूरों की मदद से होता है। मजदूरों की मेहनत हर कार्यक्षेत्र पर निर्भर करती है। किसी भी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कर्मचारी काम करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कर्मचारियों के लिए विशेष दिन कब और कैसे स्थापित किया गया था? पहली बार मजदूर दिवस क्यों मनाया गया? आइए जानें मजदूर दिवस का इतिहास, महत्व और इस वर्ष की थीम।
मजदूर दिवस पहली बार कब मनाया गया
1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है। 1889 में पहली बार International Labour Day मनाया गया था। अमेरिका के शिकागो शहर से इस दिन को मनाने की परंपरा शुरू हुई, जब मजदूर एक होकर सड़क पर उतर आए।
मजदूर दिवस क्यों मनाते हैं
इस आंदोलन का कारण मजदूरों की कार्य अवधि थी। उस दौरान मजदूर एक दिन में 15-15 घंटे काम करते थे। 1886 से पहले अमेरिका में आंदोलन की शुरुआत हुई थी।अपने हक के लिए मजदूर हड़ताल पर बैठ गए। इस आंदोलन में अमेरिका के मजदूर सड़कों पर आ गए। अमेरिका में सैकड़ों श्रमिक घायल हो गए। आंदोलन के दौरान मजदूरों पर पुलिस ने गोली चला दी।
1889 में, घटना के तीन साल बाद अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की बैठक हुई
इस बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रत्येक कर्मचारी को प्रतिदिन 8 घंटे ही काम दिया जाएगा। सम्मेलन के बाद एक मई को International Labour Day मनाने का निर्णय भी लिया गया था। इस दिन हर साल कर्मचारियों को छुट्टी देने का भी निर्णय लिया गया। बाद में, अमेरिकी मजदूरों की तरह अन्य देशों में 8 घंटे काम करने का नियम लागू हो गया।
भारत में कब मनाया गया मजदूर दिवस
भारत में 1 मई 1889 को International Labour Day मनाने की शुरुआत लगभग 34 साल बाद हुई, हालांकि अमेरिका में इस दिन को मनाने का प्रस्ताव 1 मई 1889 को लागू हुआ था। भारत में भी मजदूर शोषण और अत्याचार के खिलाफ बोल रहे थे। वामपंथी कर्मचारी नेतृत्व कर रहे थे। उनके आंदोलन को देखते हुए 1 मई 1923 को चेन्नई में पहली बार मजदूर दिवस मनाया गया। लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान ने मजदूर दिवस मनाने का फैसला किया। बहुत से संगठन और सोशल पार्टी ने इस निर्णय का समर्थन किया। इस दिन को कामगार दिवस, श्रम दिवस, श्रमिक दिवस और मई दिवस भी कहते हैं। दुनिया भर में इस दिन को मनाने का एक बहुत विशिष्ट उद्देश्य है
इतिहास अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस का
लगभग 135 साल पहले, अमरीका में कर्मचारियों की हालत बहुत बुरी थी। मजदूरों को दिन में लगभग पंद्रह घंटे काम करना पड़ता था। जहां ये काम करते थे, वहां सफाई भी नहीं थी। हवा के लिए भी पर्याप्त स्थान नहीं था। बदतर परिस्थितियों से परेशान कर्मचारियों ने आंदोलन शुरू किया। उन्होंने आवाज़ उठाकर हड़ताल करने का निर्णय लिया। 1 मई 1886 को बहुत से श्रमिक संयुक्त राज्य अमेरिका की सड़कों पर उतर गए। मजदूरों ने 15 घंटे से 8 घंटे कम करने की मांग की। साथ ही कार्यस्थल में सुधार किया जाए।
International Labour Day 2023 की थीम
इस बार International Labour Day 2023 की थीम है, ‘सकारात्मक सुरक्षा और स्वास्थ्य संस्कृति का निर्माण के लिए मिलकर कार्य करें
सम्मेलन के बाद एक मई को मजदूर दिवस मनाने का निर्णय भी लिया गया था। इस दिन हर साल कर्मचारियों को छुट्टी देने का भी निर्णय लिया गया। बाद में, अमेरिकी मजदूरों की तरह अन्य देशों में 8 घंटे काम करने का नियम लागू हो गया।